Detail Review: पोस्टमॉर्टम के बाद शरीर सिलने की जरूरत नहीं समझी गई 'कडावर' में

Detail Review: शुरुआत के सीन से ही ऐसा लगने लगता है कि फिल्म से आप निराश होंगे, फिर कहानी थोड़ी गति पकड़ती है तो लगता है कि इन्वेस्टीगेशन में अब मजा आएगा, और फिर आधी फिल्म होते-होते दर्शक भी समझ जाते हैं कि ये कहानी कहां जाकर रुकेगी. इतनी देशी विदेशी फिल्में देखकर अब तो दर्शक भी समझदार हो गए हैं कि वे कहानी का पूर्वानुमान लगा लेते हैं. कडावर एक अच्छी मर्डर मिस्ट्री बन सकती थी, लेकिन फार्मूला घुसाने के चक्कर में फिल्म ने अपनी खासियत से ही समझौता कर लिया.

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