REVIEW: खनखनाते, खरे सिक्कों से भरपूर हैं 'गुल्लक' सीजन 3 के सारे एपिसोड

'Gullak' season 3 REVIEW: गुल्लक जैसी छोटी चीज बड़े घरों में नहीं होती, लेकिन कई मौकों पर ये गुल्लक, मध्यवर्ग के लिए बड़ा सहारा बन जाती है. पिगी बैंक भी ऐसी ही चीज है, लेकिन उसमें माटी का इस्तेमाल ही नहीं होता. महानगरों के कल्चर से किसी तरह बचे शहरों का मध्यवर्ग अभी भी अपनी माटी से जुड़ा है. और बारीकी में जाना हो, तो ऐसे समझ सकते हैं, कि इस वर्ग का तरीका आज की तुलना में बहुत अधिक सामाजिक रहा है. इनके घरों में चीनी-चायपत्ती खत्म होने पर, कम से कम एक टाइम तो पड़ोसी के घर से मांग ही काम चला लिया जाता रहा. तुरंत दुकान पर दौड़ने की जहमत नहीं उठाई जाती थी. पड़ोसियों के साथ इनका मेल- जोल कुछ ऐसा होता है, कि बगल वालों को साथ लिए बगैर इनकी पूजा भी अधूरी रह जाती है. इनके लिए अकेले अपने परिवार भर को, लेकर पिकनिक पर जाना भी आसान नहीं होता. जिन लोगों ने ऐसा दौर और जिंदगी देखी है, उनके लिए सोनी लिव की गुल्लक सीजन 3 के 5 एपिसोड बेहद रोचक हैं.

from Latest News फ़िल्म रिव्यू News18 हिंदी https://ift.tt/zQ9fqdS

Post a Comment

0 Comments