Film Review 'Sherdil': 'शेरदिल' में उनका अभिनय इतना घिसा हुआ लगता है कि उनके इस रोल को उठाकर उनकी किसी और फिल्म में रख दें तो शायद कोई विशेष फर्क न पड़े. पंकज त्रिपाठी के बारे में ये बात इसलिए महत्वपूर्ण है कि पंकज एक खांटी देसी आदमी हैं और उनके अभिनय में चौराहे का शोर, गली का कोलाहल और ओटले की चुगलियां नज़र आती हैं. ऐसे अद्भुत कलाकार का रिपीटेटिव नज़र आना उनके करियर के लिए खतरे का पहला संकेत है.
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